Friday, October 30, 2009

कुछ हमारे बारे में

विवेचना रंगमंडल तकरीबन साठ लोगों का एक रंगसमूह है। विगत ३० वर्षों से रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय यह रंग समूह नाटकों में नित नूतन प्रयोगों के लिए विख्यात है। हिन्दी में नाटकों की कमी को यह समूह सिरे से नकारता है इसलिए साहित्य की हर विधा कोनाटक के फ्रेम मे खड़ाकरने के लिये प्रतिबद्ध है। हरिशंकर परसाई , मुक्तिबोध , विजयदान देथा, फजल, ताबिश, उदय प्रकाश, सोमदत्त, भगवत रावत ,कबीर, निराला, फैज, आलोक धनवा, भीष्म साहनी, लोककवि ईसुरी, शरद जोशी, प्रेम निशिथ, स्वयं प्रकाश, ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह, आदि हिन्दी के जाने माने कथाकार कवि एवं व्यंगकारों की रचनाओं पर संपूर्ण नाट्यकृति विवेचना रंगमंडल की धरोहर है। परिचित और प्रख्यात नाटकों की लम्बी सूची है जो रंगमंडल के कलाकारों द्वारा समय - समय पर मंचित होती रहती हैं शौकिया रंगकर्मियों के इस समूह में पेशेवर संगीतज्ञ, गायक, वादक, नर्तक , अभिनेता और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं पूरे वर्ष सक्रिय रहने वाली यह रंगमंडली देश भर में आयोजित होने वाले नाट्य समारोहों में हिस्सा लेती है। रंगकर्म की विधा में प्रशिक्षण शिविरों का संचालन करने के लिए इसकी विशिष्ट पहचान है। प्रतिवर्ष दो या तीन नाट्य शिविर आयोजित कर विवेचना रंगमंडल अपने कलाकारों की प्रतिभा को तराशती रहती है
देश के विख्यात रंग - निर्देशकों की तैयार रंग प्रस्तुतियां विवेचना रंगमंडल की धरोहर हैं जनगीत नुक्कड़ नाटक कविता पोस्टर प्रदर्शनी और वातावरण निर्माण में ज़रूरी कला माध्यमों से परिपूर्ण है विवेचना रंगमंडल शिक्षा स्वास्थ्य एड्स मानवाधिकार लिंगभेद आदि ज्वलंत विषयों पर जनता को जागरूक बनाने के लिए विवेचना रंगमंडल पूरे बरस काम करती है